गाँव के बाहर, एक पुराना और वीरान शमशान था, जहाँ रात होते ही कोई जाने की हिम्मत न

गाँव के बाहर, एक पुराना और वीरान शमशान था, जहाँ रात होते ही कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहते थे कि वहाँ रात को आत्माएँ घूमती थीं। गाँव के लोग अक्सर उस शमशान की ओर जाने से बचते थे। एक रात, विजय नाम का एक युवक, जिसने किसी से कभी नहीं डरा, अपने दोस्तों से शर्त लगाकर शमशान जाने का फैसला किया। रात के समय जब गाँव सो रहा था, विजय अकेला शमशान की ओर चल पड़ा। चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। जैसे ही वह शमशान के पास पहुँचा, उसे लगा कि कोई उसके पीछे-पीछे आ रहा है। उसने मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। उसने सोचा कि यह उसका वहम है और वह आगे बढ़ता गया। अचानक उसे एक पुरानी टूटी-फूटी हवेली दिखाई दी, जो शमशान के बीचों-बीच थी। हवेली के दरवाजे पर एक धुंधली सी रोशनी चमक रही थी। विजय ने सोचा कि वह अंदर जाकर देखेगा कि आखिर अंदर क्या है। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। अंदर एक बड़ा सा हॉल था, जिसमें दीवारों पर पुरानी तस्वीरें टंगी थीं। अचानक, उसे एक बूढ़े आदमी की हँसी सुनाई दी। वह चौंक गया और चारों तरफ देखने लगा, लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। तभी उसने देखा कि एक तस्वीर में एक बूढ़ा आदमी उसकी तरफ देख रहा है और हँस रहा है। विजय ने घबराकर पीछे हटना चाहा, लेकिन तभी वह दरवाजा अपने आप बंद हो गया। उसके सामने एक छाया उभर आई। वह छाया धीरे-धीरे विजय की ओर बढ़ने लगी। विजय ने अपनी पूरी ताकत से दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। तभी उसने देखा कि छाया ने अपना रूप बदल लिया और वह एक सुन्दर परी में बदल गई। परी ने कहा, "डरो मत, मैं तुम्हें यहाँ से बाहर निकालने आई हूँ। लेकिन तुम्हें वादा करना होगा कि तुम कभी भी इस शमशान की शांति भंग नहीं करोगे।" विजय ने सहमति में सिर हिलाया और अचानक दरवाजा खुल गया। परी ने विजय को बाहर भेज दिया और धीरे-धीरे अदृश्य हो गई। विजय ने कभी उस रात के बारे में किसी को नहीं बताया और शमशान की ओर कभी वापस नहीं गया। गाँव के लोग कहते हैं कि विजय ने शमशान की एक बड़ी रहस्यमय ताकत का सामना किया और उसकी रक्षा करने वाली परी से मिला।
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गाँव के बाहर
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एक पुराना और वीरान शमशान था
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जहाँ रात होते ही कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहते थे कि वहाँ रात को आत्माएँ घूमती थीं। गाँव के लोग अक्सर उस शमशान की ओर जाने से बचते थे।
एक रात
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विजय नाम का एक युवक
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जिसने किसी से कभी नहीं डरा
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अपने दोस्तों से शर्त लगाकर शमशान जाने का फैसला किया। रात के समय जब गाँव सो रहा था
,
विजय अकेला शमशान की ओर चल पड़ा। चारों तरफ सन्नाटा था
,
सिर्फ हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी।
जैसे ही वह शमशान के पास पहुँचा
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उसे लगा कि कोई उसके पीछे-पीछे आ रहा है। उसने मुड़कर देखा
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पर वहाँ कोई नहीं था। उसने सोचा कि यह उसका वहम है और वह आगे बढ़ता गया। अचानक उसे एक पुरानी टूटी-फूटी हवेली दिखाई दी
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जो शमशान के बीचों-बीच थी। हवेली के दरवाजे पर एक धुंधली सी रोशनी चमक रही थी।
विजय ने सोचा कि वह अंदर जाकर देखेगा कि आखिर अंदर क्या है। जैसे ही उसने दरवाजा खोला
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उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। अंदर एक बड़ा सा हॉल था
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जिसमें दीवारों पर पुरानी तस्वीरें टंगी थीं। अचानक
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उसे एक बूढ़े आदमी की हँसी सुनाई दी। वह चौंक गया और चारों तरफ देखने लगा
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लेकिन उसे कोई नहीं दिखा।
तभी उसने देखा कि एक तस्वीर में एक बूढ़ा आदमी उसकी तरफ देख रहा है और हँस रहा है। विजय ने घबराकर पीछे हटना चाहा
,
लेकिन तभी वह दरवाजा अपने आप बंद हो गया। उसके सामने एक छाया उभर आई। वह छाया धीरे-धीरे विजय की ओर बढ़ने लगी।
विजय ने अपनी पूरी ताकत से दरवाजा खोलने की कोशिश की
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लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। तभी उसने देखा कि छाया ने अपना रूप बदल लिया और वह एक सुन्दर परी में बदल गई। परी ने कहा
,
"डरो मत
,
मैं तुम्हें यहाँ से बाहर निकालने आई हूँ। लेकिन तुम्हें वादा करना होगा कि तुम कभी भी इस शमशान की शांति भंग नहीं करोगे।"
विजय ने सहमति में सिर हिलाया और अचानक दरवाजा खुल गया। परी ने विजय को बाहर भेज दिया और धीरे-धीरे अदृश्य हो गई। विजय ने कभी उस रात के बारे में किसी को नहीं बताया और शमशान की ओर कभी वापस नहीं गया। गाँव के लोग कहते हैं कि विजय ने शमशान की एक बड़ी रहस्यमय ताकत का सामना किया और उसकी रक्षा करने वाली परी से मिला।
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