साधु मुस्कराए और बोले, "राजन, मैं युद्ध का व्यक्ति नहीं हूँ। लेकिन यदि आप चाहते

साधु मुस्कराए और बोले, "राजन, मैं युद्ध का व्यक्ति नहीं हूँ। लेकिन यदि आप चाहते हैं, तो एक खेल खेल सकते हैं।"** *चित्रण*: साधु शांत और धैर्य से मुस्कुराते हुए राजा को देख रहे हैं, एक हाथ में माला पकड़े हुए, जबकि राजा उन्हें गौर से देख रहा है। 7. **साधु ने राजा को एक रहस्यमयी तालाब के पास ले जाकर कहा, "इस तालाब के बीच में एक कमल का फूल है। जो भी उस फूल को बिना भीगे तोड़ कर लाएगा, वह विजयी होगा।"** *चित्रण*: एक रहस्यमयी तालाब का दृश्य, जिसके बीच में एक सुंदर कमल का फूल है। तालाब के किनारे राजा विक्रम और साधु खड़े हैं, साधु तालाब की ओर इशारा कर रहा है। 8. **राजा ने बिना सोचे-समझे तालाब में छलांग लगा दी, लेकिन जितना वह आगे बढ़ता, तालाब और गहरा होता जाता।** *चित्रण*: राजा विक्रम तालाब में कूदते हुए, पानी में आधे डूबे हुए, और पानी गहरा होते जा रहा है, उनके चेहरे पर आश्चर्य और संघर्ष का भाव है। 9. **साधु ने तालाब के किनारे खड़े होकर मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया।** *चित्रण*: साधु तालाब के किनारे खड़े होकर आँखें बंद करके मंत्रों का जाप कर रहे हैं, उनके चारों ओर हल्की रोशनी की आभा दिखाई दे रही है। 10. **अचानक एक अदृश्य शक्ति ने तालाब के बीच में जाकर कमल का फूल साधु के हाथों में ला दिया।** *चित्रण*: हवा में अदृश्य शक्ति की लहरें, कमल का फूल तालाब के बीच से उठकर साधु के हाथों में आ रहा है, साधु की मुद्रा शांत और केंद्रित है। 11. **राजा हैरान रह गया। वह समझ गया कि साधु साधारण व्यक्ति नहीं हैं।** *चित्रण*: राजा विक्रम तालाब से बाहर आकर आश्चर्य और सम्मान के भाव से साधु को देख रहा है, उसके कपड़े भीगे हुए हैं और चेहरा खिन्न है। 12. **राजा ने साधु से क्षमा मांगी और कहा, "हे महान साधु, मुझे अहंकार था कि मैं सबसे शक्तिशाली हूँ। आज आपने मेरी आँखें खोल दीं। कृपया मुझे क्षमा करें।"** *चित्रण*: राजा विक्रम साधु के चरणों में झुक कर क्षमा मांग रहा है, साधु शांत भाव से राजा की ओर देख रहे हैं। 13. **साधु ने मुस्कराते हुए कहा, "राजन, सच्ची शक्ति वही है जो नम्रता और करुणा में निहित होती है।"** *चित्रण*: साधु राजा के सामने खड़े होकर आशीर्वाद की मुद्रा में, शांत और सौम्य मुस्कान के साथ, और राजा विनम्रता से साधु की बात सुन रहा है। 14. **राजा व
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साधु मुस्कराए और बोले
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"राजन
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मैं युद्ध का व्यक्ति नहीं हूँ। लेकिन यदि आप चाहते हैं
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तो एक खेल खेल सकते हैं।"**
*चित्रण*: साधु शांत और धैर्य से मुस्कुराते हुए राजा को देख रहे हैं
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एक हाथ में माला पकड़े हुए
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जबकि राजा उन्हें गौर से देख रहा है।
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**साधु ने राजा को एक रहस्यमयी तालाब के पास ले जाकर कहा
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"इस तालाब के बीच में एक कमल का फूल है। जो भी उस फूल को बिना भीगे तोड़ कर लाएगा
,
वह विजयी होगा।"**
*चित्रण*: एक रहस्यमयी तालाब का दृश्य
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जिसके बीच में एक सुंदर कमल का फूल है। तालाब के किनारे राजा विक्रम और साधु खड़े हैं
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साधु तालाब की ओर इशारा कर रहा है।
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**राजा ने बिना सोचे-समझे तालाब में छलांग लगा दी
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लेकिन जितना वह आगे बढ़ता
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तालाब और गहरा होता जाता।**
*चित्रण*: राजा विक्रम तालाब में कूदते हुए
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पानी में आधे डूबे हुए
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और पानी गहरा होते जा रहा है
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उनके चेहरे पर आश्चर्य और संघर्ष का भाव है।
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**साधु ने तालाब के किनारे खड़े होकर मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया।**
*चित्रण*: साधु तालाब के किनारे खड़े होकर आँखें बंद करके मंत्रों का जाप कर रहे हैं
,
उनके चारों ओर हल्की रोशनी की आभा दिखाई दे रही है।
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**अचानक एक अदृश्य शक्ति ने तालाब के बीच में जाकर कमल का फूल साधु के हाथों में ला दिया।**
*चित्रण*: हवा में अदृश्य शक्ति की लहरें
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कमल का फूल तालाब के बीच से उठकर साधु के हाथों में आ रहा है
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साधु की मुद्रा शांत और केंद्रित है।
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**राजा हैरान रह गया। वह समझ गया कि साधु साधारण व्यक्ति नहीं हैं।**
*चित्रण*: राजा विक्रम तालाब से बाहर आकर आश्चर्य और सम्मान के भाव से साधु को देख रहा है
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उसके कपड़े भीगे हुए हैं और चेहरा खिन्न है।
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**राजा ने साधु से क्षमा मांगी और कहा
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"हे महान साधु
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मुझे अहंकार था कि मैं सबसे शक्तिशाली हूँ। आज आपने मेरी आँखें खोल दीं। कृपया मुझे क्षमा करें।"**
*चित्रण*: राजा विक्रम साधु के चरणों में झुक कर क्षमा मांग रहा है
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साधु शांत भाव से राजा की ओर देख रहे हैं।
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**साधु ने मुस्कराते हुए कहा
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"राजन
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सच्ची शक्ति वही है जो नम्रता और करुणा में निहित होती है।"**
*चित्रण*: साधु राजा के सामने खड़े होकर आशीर्वाद की मुद्रा में
,
शांत और सौम्य मुस्कान के साथ
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और राजा विनम्रता से साधु की बात सुन रहा है।
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