Scene: दरवाजे के पीछे का खौफदरवाजे के दूसरी तरफ एक कमरा था, जो बिल्कुल खाली था
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Scene: दरवाजे के पीछे का खौफदरवाजे के दूसरी तरफ एक कमरा था, जो बिल्कुल खाली था, लेकिन वहाँ कुछ ऐसा था जिसने अरमान का ध्यान खींचा। कमरे के बीचों-बीच एक पुरानी, धूल भरी कुर्सी रखी थी। कुर्सी के पास ही एक टूटा हुआ दर्पण था, जिसकी सतह पर हल्की-हल्की दरारें थीं। दर्पण में कुछ भी साफ-साफ नहीं दिख रहा था, लेकिन जैसे ही अरमान ने उसमें झाँका, उसे अपनी परछाई के अलावा कुछ और भी नजर आया।उसकी सांसें थम गईं जब उसने देखा कि उसकी परछाई के पीछे कोई खड़ा है। वह धीरे-धीरे पलटा, लेकिन पीछे कुछ नहीं था। उसने फिर से दर्पण की ओर देखा। इस बार, उसकी परछाई के पीछे एक धुंधली आकृति खड़ी थी, जो धीरे-धीरे साफ हो रही थी। वह आकृति एक औरत की थी, जिसकी आँखें गहरी और चेहरे पर सर्दी की तरह ठंडापन था।अरमान के दिल की धड़कन तेज हो गई। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह सब सच में हो रहा है या यह उसकी कल्पना है। लेकिन वह डर से सिहर उठा जब वह आकृति दर्पण से बाहर निकलकर असली रूप में उसके सामने खड़ी हो गई।
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Scene: दरवाजे के पीछे का खौफदरवाजे के दूसरी तरफ एक कमरा था, जो बिल्कुल खाली था, लेकिन वहाँ कुछ ऐसा था जिसने अरमान का ध्यान खींचा। कमरे के बीचों-बीच एक पुरानी, धूल भरी कुर्सी रखी थी। कुर्सी के पास ही एक टूटा हुआ दर्पण था, जिसकी सतह पर हल्की-हल्की दरारें थीं। दर्पण में कुछ भी साफ-साफ नहीं दिख रहा था, लेकिन जैसे ही अरमान ने उसमें झाँका, उसे अपनी परछाई के अलावा कुछ और भी नजर आया।उसकी सांसें थम गईं जब उसने देखा कि उसकी परछाई के पीछे कोई खड़ा है। वह धीरे-धीरे पलटा, लेकिन पीछे कुछ नहीं था। उसने फिर से दर्पण की ओर देखा। इस बार, उसकी परछाई के पीछे एक धुंधली आकृति खड़ी थी, जो धीरे-धीरे साफ हो रही थी। वह आकृति एक औरत की थी, जिसकी आँखें गहरी और चेहरे पर सर्दी की तरह ठंडापन था।अरमान के दिल की धड़कन तेज हो गई। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह सब सच में हो रहा है या यह उसकी कल्पना है। लेकिन वह डर से सिहर उठा जब वह आकृति दर्पण से बाहर निकलकर असली रूप में उसके सामने खड़ी हो गई।
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