किसी झेन गुरु को किसी व्यक्ति ने बीच सभा में टोककर पूछा--गुरु बोल रहा था

किसी झेन गुरु को किसी व्यक्ति ने बीच सभा में टोककर पूछा--गुरु बोल रहा था--बीच सभा में किसी ने टोका और पूछा, ‘निरंतर सुनता हूं: आत्मा... आत्मा ... आत्मा ... परमात्मा...भीतर जाओ...मेरी कुछ समझ में नहीं आता। यह कहां है भीतर?’ उस गुरु ने अपना डंडा उठाया, उसने भीड़ से कहा, ‘रास्ता दो। यह आदमी शब्द से नहीं मानेगा।’ तो वह आदमी थोड़ा घबड़ाया भी, संकुचित भी हुआ, और गुरु नीचे उतर आया। और झेन फकीर मजबूत फकीर होते हैं क्योंकि झेन फकीर आठ-आठ घंटे श्रम करता है बगीचे में, खेत में। क्योंकि झेन फकीर कहते हैं: ‘ना काम, ना रोटी।’ बिना काम किये एक रोटी भी नहीं मिल सकती। तो वे आठ-आठ घंटे मेहनत करते हैं, गड्ढे खोदते हैं, लकड़ी काटते हैं। मजबूत लोग होते हैं। डंडा लेकर जब वह मजबूत आदमी चलने लगा और बीच में लोगों ने जगह दे दी, तो वह आदमी थोड़ा सकुचाया भी और उसने कहा कि जाने भी दीजिये, मैंने सिर्फ एक प्रश्न ही पूछा था। उसने कहा कि जब पूछ ही लिया, तब उत्तर देना जरूरी है। आंख बंद कर और जहां से प्रश्न आया, भीतर उस जगह को खोज। और नहीं खोज पाया तो यह डंडा है। उस आदमी ने आंखें बंद की होंगी। पहले तो थोड़ा डरा होगा कि पता नहीं, कब आदमी डंडा मार दे! लेकिन आप कुछ ऐसे हैं कि भय को ही मानते हैं। कभी-कभी भय में आप शांत हो जाते हैं। वह शांति असली तो नहीं है, बहुत गहरी तो नहीं है, लेकिन भय में आप शांत हो जाते हैं। बहुत भय पकड़ ले तो विचार बंद हो जाते हैं। अगर कोई छाती पर छुरा रख दे तो विचार बंद हो जाते हैं; क्योंकि विचार करने की सुविधा नहीं मालूम पड़ती इतने खतरे के सामने। खतरे में विचार टूट जाते हैं। विचार भी एक तरह की सुविधा है। इसलिये जितने आप सुविधा-संपन्न होते हैं, उतने ज्यादा विचार करते हैं--बैठे हैं आराम से; कुछ और काम नहीं, सारी जीवन-ऊर्जा विचार बन जाती है। लेकिन जहां जीवन खतरे में हो... और वह आदमी खड़ा था डंडा लिये। आंख बंद की होगी उस व्यक्ति ने, डंडा दिखाई पड़ता रहा होगा, विचार बंद हो गये। उसने भीतर झांका और कोई उपाय नहीं था। नहीं तो यह आदमी मार देगा। उसने भीतर झांका होगा, कहां से यह प्रश्न आया कि मैं कौन हूं? उतरा होगा प्रश्न की सीढ़ी के सहारे, भीतर...भीतर...भीतर; जहां से प्रश्न का पहला अंकुर फूटा है। क्योंकि प्रश्न कोई आकाश से नहीं आया, तुमसे आया है। जैसे बीज से अंकुर आता
Generation Data
Enregistrements
Prompts
Copier les Paramètres
किसी झेन गुरु को किसी व्यक्ति ने बीच सभा में टोककर पूछा--गुरु बोल रहा था--बीच सभा में किसी ने टोका और पूछा
,
‘निरंतर सुनता हूं: आत्मा
...
आत्मा
...
आत्मा
...
परमात्मा
...
भीतर जाओ
...
मेरी कुछ समझ में नहीं आता। यह कहां है भीतर
?
’
उस गुरु ने अपना डंडा उठाया
,
उसने भीड़ से कहा
,
‘रास्ता दो। यह आदमी शब्द से नहीं मानेगा।’ तो वह आदमी थोड़ा घबड़ाया भी
,
संकुचित भी हुआ
,
और गुरु नीचे उतर आया।
और झेन फकीर मजबूत फकीर होते हैं क्योंकि झेन फकीर आठ-आठ घंटे श्रम करता है बगीचे में
,
खेत में। क्योंकि झेन फकीर कहते हैं: ‘ना काम
,
ना रोटी।’ बिना काम किये एक रोटी भी नहीं मिल सकती। तो वे आठ-आठ घंटे मेहनत करते हैं
,
गड्ढे खोदते हैं
,
लकड़ी काटते हैं। मजबूत लोग होते हैं।
डंडा लेकर जब वह मजबूत आदमी चलने लगा और बीच में लोगों ने जगह दे दी
,
तो वह आदमी थोड़ा सकुचाया भी और उसने कहा कि जाने भी दीजिये
,
मैंने सिर्फ एक प्रश्न ही पूछा था।
उसने कहा कि जब पूछ ही लिया
,
तब उत्तर देना जरूरी है। आंख बंद कर और जहां से प्रश्न आया
,
भीतर उस जगह को खोज। और नहीं खोज पाया तो यह डंडा है।
उस आदमी ने आंखें बंद की होंगी। पहले तो थोड़ा डरा होगा कि पता नहीं
,
कब आदमी डंडा मार दे
!
लेकिन आप कुछ ऐसे हैं कि भय को ही मानते हैं।
कभी-कभी भय में आप शांत हो जाते हैं। वह शांति असली तो नहीं है
,
बहुत गहरी तो नहीं है
,
लेकिन भय में आप शांत हो जाते हैं। बहुत भय पकड़ ले तो विचार बंद हो जाते हैं। अगर कोई छाती पर छुरा रख दे तो विचार बंद हो जाते हैं
;
क्योंकि विचार करने की सुविधा नहीं मालूम पड़ती इतने खतरे के सामने। खतरे में विचार टूट जाते हैं। विचार भी एक तरह की सुविधा है। इसलिये जितने आप सुविधा-संपन्न होते हैं
,
उतने ज्यादा विचार करते हैं--बैठे हैं आराम से
;
कुछ और काम नहीं
,
सारी जीवन-ऊर्जा विचार बन जाती है। लेकिन जहां जीवन खतरे में हो
...
और वह आदमी खड़ा था डंडा लिये। आंख बंद की होगी उस व्यक्ति ने
,
डंडा दिखाई पड़ता रहा होगा
,
विचार बंद हो गये। उसने भीतर झांका और कोई उपाय नहीं था। नहीं तो यह आदमी मार देगा। उसने भीतर झांका होगा
,
कहां से यह प्रश्न आया कि मैं कौन हूं
?
उतरा होगा प्रश्न की सीढ़ी के सहारे
,
भीतर
...
भीतर
...
भीतर
;
जहां से प्रश्न का पहला अंकुर फूटा है।
क्योंकि प्रश्न कोई आकाश से नहीं आया
,
तुमसे आया है। जैसे बीज से अंकुर आता
Info
Checkpoint & LoRA

Checkpoint
Animagine XL V3.1
0 commentaire(s)
0
0
0