⚛️ अनमोल *रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा मुंबई वाली बुआ जी की


⚛️ अनमोल *रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा मुंबई वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.* *कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.* *इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.* *पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.* *बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी* *पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.* *मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...* *पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.* *"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...* *मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...* *"जया का लिफाफा दिखाना जरा...* *पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....* *जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.* *विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.* *तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .* *बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.* *इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...* *जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...* *'गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...* *"जया दीदी के घर..!!* *मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...* *आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...* *हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.* *पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...* *रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.* *बु
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⚛️ अनमोल *रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा मुंबई वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था
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*कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी
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*इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने
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*पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे
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*बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी*
*पांच राखियाँ
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कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट
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*मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें
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*पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे
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*"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है
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*मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी
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*"जया का लिफाफा दिखाना जरा
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*पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे
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*जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था
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*विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था
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*तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी
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मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे
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*बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी
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*इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था
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बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं
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*जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे
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*'गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे
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*"जया दीदी के घर
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*मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी
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*आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है
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*हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा
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वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी
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*पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है
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*रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे
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