यह कहानी एक बंदर और मगरमच्छ की है जो पंचतंत्र की कहानियों में से एक है

यह कहानी एक बंदर और मगरमच्छ की है जो पंचतंत्र की कहानियों में से एक है। कहानी इस प्रकार है: एक समय की बात है, एक घने जंगल के बीच एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था। वह पेड़ के फल खाता और आनंद से जीवन व्यतीत करता। एक दिन, एक मगरमच्छ वहां आया और पेड़ के नीचे आराम करने लगा। बंदर ने मगरमच्छ को देखा और दोस्ती करने का फैसला किया। उसने मगरमच्छ से पूछा, "तुम कौन हो और यहां क्यों आए हो?" मगरमच्छ ने बताया कि वह पास की नदी में रहता है और भोजन की तलाश में यहां आया है। बंदर ने उसकी मदद करने की सोची और उसे पेड़ के फल देने लगा। मगरमच्छ ने फल खाए और दोनों में दोस्ती हो गई। मगरमच्छ रोजाना आता और बंदर उसे फल खिलाता। दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। एक दिन, मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया। मगरमच्छ की पत्नी बहुत चालाक थी और उसने सोचा, "अगर ये फल इतने स्वादिष्ट हैं, तो उस बंदर का दिल कितना स्वादिष्ट होगा?" उसने मगरमच्छ से कहा कि वह बंदर को अपने घर लाए ताकि वे उसका दिल खा सकें। मगरमच्छ ने पहले तो मना किया, लेकिन उसकी पत्नी के बार-बार कहने पर वह मान गया। अगले दिन, मगरमच्छ बंदर के पास गया और उसे अपने घर आने का निमंत्रण दिया। बंदर ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदी पार करने लगा। जब वे नदी के बीच में पहुंचे, तो मगरमच्छ ने सच्चाई बताई कि उसकी पत्नी बंदर का दिल खाना चाहती है। बंदर चतुर था। उसने बिना समय गवाए कहा, "अरे मेरे दोस्त, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो उस पेड़ पर ही रह गया है। हमें वापस जाना होगा।" मगरमच्छ ने बंदर की बात मान ली और वापस पेड़ की ओर लौट गया। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुंचे, बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ को दूर से कहा, "तुमने अपनी दोस्ती के साथ विश्वासघात किया। अब वापस जाओ और अपनी पत्नी से कहो कि तुम्हें कुछ नहीं मिला।" मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा होकर वापस चला गया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संकट के समय में बुद्धिमानी और त्वरित सोच से हम खुद को बचा सकते हैं।
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यह कहानी एक बंदर और मगरमच्छ की है जो पंचतंत्र की कहानियों में से एक है। कहानी इस प्रकार है:
एक समय की बात है
,
एक घने जंगल के बीच एक बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था। वह पेड़ के फल खाता और आनंद से जीवन व्यतीत करता।
एक दिन
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एक मगरमच्छ वहां आया और पेड़ के नीचे आराम करने लगा। बंदर ने मगरमच्छ को देखा और दोस्ती करने का फैसला किया। उसने मगरमच्छ से पूछा
,
"तुम कौन हो और यहां क्यों आए हो
?
" मगरमच्छ ने बताया कि वह पास की नदी में रहता है और भोजन की तलाश में यहां आया है।
बंदर ने उसकी मदद करने की सोची और उसे पेड़ के फल देने लगा। मगरमच्छ ने फल खाए और दोनों में दोस्ती हो गई। मगरमच्छ रोजाना आता और बंदर उसे फल खिलाता। दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन
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मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया। मगरमच्छ की पत्नी बहुत चालाक थी और उसने सोचा
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"अगर ये फल इतने स्वादिष्ट हैं
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तो उस बंदर का दिल कितना स्वादिष्ट होगा
?
" उसने मगरमच्छ से कहा कि वह बंदर को अपने घर लाए ताकि वे उसका दिल खा सकें।
मगरमच्छ ने पहले तो मना किया
,
लेकिन उसकी पत्नी के बार-बार कहने पर वह मान गया। अगले दिन
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मगरमच्छ बंदर के पास गया और उसे अपने घर आने का निमंत्रण दिया। बंदर ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदी पार करने लगा।
जब वे नदी के बीच में पहुंचे
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तो मगरमच्छ ने सच्चाई बताई कि उसकी पत्नी बंदर का दिल खाना चाहती है। बंदर चतुर था। उसने बिना समय गवाए कहा
,
"अरे मेरे दोस्त
,
तुमने पहले क्यों नहीं बताया
?
मेरा दिल तो उस पेड़ पर ही रह गया है। हमें वापस जाना होगा।"
मगरमच्छ ने बंदर की बात मान ली और वापस पेड़ की ओर लौट गया। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुंचे
,
बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ को दूर से कहा
,
"तुमने अपनी दोस्ती के साथ विश्वासघात किया। अब वापस जाओ और अपनी पत्नी से कहो कि तुम्हें कुछ नहीं मिला।"
मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा होकर वापस चला गया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संकट के समय में बुद्धिमानी और त्वरित सोच से हम खुद को बचा सकते हैं।
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Checkpoint & LoRA

Checkpoint
AbsoluteRealIndian
#사실적인
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