आज भारत मां लाचार है, अपनी ही आंखों में शर्मशार है, जिसे कोख से जन्म दिया

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आज भारत मां लाचार है
,
अपनी ही आंखों में शर्मशार है
,
जिसे कोख से जन्म दिया
,
वही दरिंदा
,
वैशी बन चुका
,
अपनी ही मां
,
बहन
,
बेटियों का
,
चील
,
कौवे
,
गिद्ध की तरह
,
नोंच रहा
,
खा रहा
,
है बलात्कार कर रहा
,
है बलात्कार कर रहा।
कल तक तो वो
,
लड़ रही थी अंग्रजों से
,
आज मानवता का गला घूंट रहा
,
कैसे मनाए कोई रक्षाबंधन
,
जब बांधी जा रही है बेटियां
,
वो भी तो किसी का भाई होगा
,
कलाई पे तो उसकी भी बांधी होगी राखी किसी ने
,
फिर क्यों वही भाई
,
घर से बाहर भक्षक बन चुका
,
सारी जंजीरे खत्म हुई
,
तो स्त्री होना अपराध हुआ
,
कौन कहां कब किसको लूटे
,
अब पुरुषों से विश्वास हटा
अब पुरुषों से विश्वास हटा
,
हे पुरूष
!
उसी मां से तुम भी जन्मे
,
फिर क्यूं मां का दामन जार जार किया
,
आज भारत मां लाचार है
,
अपनी ही मां को शर्मशार किया
,
अपनी ही मां को शर्मशार किया।।
nanhi_choudhary
We_want_justice_for_moumita_debnath
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