रात का अंधेरा चारों तरफ फैला हुआ था। विवेक जंगल में अकेला, डरा हुआ चल रहा था


रात का अंधेरा चारों तरफ फैला हुआ था। विवेक जंगल में अकेला, डरा हुआ चल रहा था। उसे यह पता नहीं था कि वह कहाँ जा रहा है, लेकिन उसे सिर्फ यह पता था कि उसे घर पहुँचना है। अचानक, एक तेज़ हवा का झोंका आया और उसके सामने एक पुरानी, खंडहर-सी दिखने वाली हवेली प्रकट हो गई। विवेक ने एक पल के लिए रुककर सोचा, "क्या यह मेरी मदद कर सकती है?" लेकिन बिना किसी अन्य विकल्प के, वह धीरे-धीरे हवेली की तरफ बढ़ गया। दरवाजे पर पहुँचते ही, दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। विवेक का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। अंदर घुसते ही, उसे लगा जैसे कोई उसकी हर हरकत पर नज़र रख रहा है। दीवारों पर लगी पुरानी तस्वीरें उसकी ओर घूर रही थीं।
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रात का अंधेरा चारों तरफ फैला हुआ था। विवेक जंगल में अकेला
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लेकिन उसे सिर्फ यह पता था कि उसे घर पहुँचना है।
अचानक
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एक तेज़ हवा का झोंका आया और उसके सामने एक पुरानी
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खंडहर-सी दिखने वाली हवेली प्रकट हो गई। विवेक ने एक पल के लिए रुककर सोचा
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"क्या यह मेरी मदद कर सकती है
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" लेकिन बिना किसी अन्य विकल्प के
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वह धीरे-धीरे हवेली की तरफ बढ़ गया।
दरवाजे पर पहुँचते ही
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दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। विवेक का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। अंदर घुसते ही
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उसे लगा जैसे कोई उसकी हर हरकत पर नज़र रख रहा है। दीवारों पर लगी पुरानी तस्वीरें उसकी ओर घूर रही थीं।
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