यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक प्यारा सा खरगोश रहता था


यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक प्यारा सा खरगोश रहता था। उसका नाम था मोती। मोती बहुत चंचल और नटखट था। वह हमेशा इधर-उधर कूदता-फांदता रहता और अपने दोस्तों के साथ खेलता। गाँव के पास ही एक जंगल था, जहाँ मोती और उसके दोस्त रोज़ खेलने जाते थे। जंगल में कई सारे पेड़, फूल, और फल थे। मोती को जंगल में खेलना बहुत पसंद था, लेकिन उसकी माँ हमेशा उसे सावधान करती रहती थी, "मोती, जंगल में अकेले मत जाना, वहाँ खतरनाक जानवर होते हैं।" एक दिन मोती के दोस्तों ने उससे कहा, "चलो, आज हम जंगल के गहरे हिस्से में चलते हैं। वहाँ बहुत सारे मीठे फल मिलते हैं।" मोती ने बिना सोचे-समझे उनके साथ जाने का फैसला किया। वे सब खेलते-खेलते जंगल के गहरे हिस्से में पहुँच गए। अचानक, उन्होंने एक बड़े से शेर की दहाड़ सुनी। सारे बच्चे डर गए और इधर-उधर भागने लगे। मोती को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। तभी उसे उसकी माँ की बात याद आई। वह दौड़ते हुए वापस गाँव की ओर भागने लगा। घर पहुँचकर मोती ने अपनी माँ को सब कुछ बताया। उसकी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, "देखा, मैं कहती थी न कि जंगल में सावधानी रखनी चाहिए।" मोती ने वादा किया कि वह अब कभी भी बिना सोचे-समझे कहीं नहीं जाएगा और हमेशा सावधानी बरतेगा। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए और कहीं भी जाने से पहले अच्छी तरह सोच-समझ लेना चाहिए।
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यह कहानी एक छोटे से गाँव की है
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जहाँ एक प्यारा सा खरगोश रहता था। उसका नाम था मोती। मोती बहुत चंचल और नटखट था। वह हमेशा इधर-उधर कूदता-फांदता रहता और अपने दोस्तों के साथ खेलता।
गाँव के पास ही एक जंगल था
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जहाँ मोती और उसके दोस्त रोज़ खेलने जाते थे। जंगल में कई सारे पेड़
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फूल
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और फल थे। मोती को जंगल में खेलना बहुत पसंद था
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लेकिन उसकी माँ हमेशा उसे सावधान करती रहती थी
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"मोती
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जंगल में अकेले मत जाना
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वहाँ खतरनाक जानवर होते हैं।"
एक दिन मोती के दोस्तों ने उससे कहा
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"चलो
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आज हम जंगल के गहरे हिस्से में चलते हैं। वहाँ बहुत सारे मीठे फल मिलते हैं।" मोती ने बिना सोचे-समझे उनके साथ जाने का फैसला किया। वे सब खेलते-खेलते जंगल के गहरे हिस्से में पहुँच गए।
अचानक
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उन्होंने एक बड़े से शेर की दहाड़ सुनी। सारे बच्चे डर गए और इधर-उधर भागने लगे। मोती को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। तभी उसे उसकी माँ की बात याद आई। वह दौड़ते हुए वापस गाँव की ओर भागने लगा।
घर पहुँचकर मोती ने अपनी माँ को सब कुछ बताया। उसकी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा
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"देखा
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मैं कहती थी न कि जंगल में सावधानी रखनी चाहिए।" मोती ने वादा किया कि वह अब कभी भी बिना सोचे-समझे कहीं नहीं जाएगा और हमेशा सावधानी बरतेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए और कहीं भी जाने से पहले अच्छी तरह सोच-समझ लेना चाहिए।
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