In cinematic cartoon 3D style “गौरा पर्व एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो मुख्य रूप से

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In cinematic cartoon 3D style “गौरा पर्व एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो मुख्य रूप से उत्तराखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और देवी गौरा (पार्वती) और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। गौरा पर्व का आयोजन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से पंचमी तक होता है।
मुख्य तिथियाँ और विधि:
1
.
घट स्थापना (तृतीया): इस दिन महिलाएँ गौरा माता की मूर्ति या प्रतीक को मिट्टी से बनाती हैं और उसे सजाती हैं। इसके बाद घट (जल भरा हुआ कलश) स्थापित किया जाता है।
2
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पूजा (चतुर्थी): दूसरे दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं और दिनभर देवी गौरा और भगवान शिव की पूजा करती हैं। इस दौरान देवी पार्वती के विवाह और उनके शिव से मिलने की कथा भी सुनाई जाती है।
3
.
विवाह उत्सव (पंचमी): अंतिम दिन गौरा और महेश्वर (शिव) की प्रतीकात्मक शादी होती है। महिलाएँ विशेष गीत गाती हैं
,
नृत्य करती हैं और पूजा संपन्न करती हैं।
पर्व का महत्व:
गौरा पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह व्रत मुख्यतः विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है
,
जबकि कुंवारी लड़कियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।
गौरा पर्व का एक सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू भी है
,
जिसमें परिवार और समुदाय एकत्रित होकर उत्सव मनाते हैं
,
लोक गीत गाते हैं
,
और पारंपरिक नृत्य करते हैं।
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