**कहानी का शीर्षक: "भूतिया कक्षा"** **कहानी:** नैनीताल के एक छोटे से पहाड़ी शह


**कहानी का शीर्षक: "भूतिया कक्षा"** **कहानी:** नैनीताल के एक छोटे से पहाड़ी शहर में, सेंट पीटर्स अकादमी नाम का एक पुराना और प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल था। यह स्कूल सौ साल से भी ज्यादा पुराना था और अपनी सख्त अनुशासन और उच्च शैक्षणिक मानकों के लिए जाना जाता था। लेकिन इस स्कूल में एक काला राज भी छिपा था, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे। यह कहानी शुरू होती है एक ठंडी सर्दियों की रात से, जब दसवीं कक्षा के कुछ छात्र देर रात पढ़ाई कर रहे थे। अचानक, उन्होंने स्कूल की सबसे पुरानी और खंडहर जैसी दिखने वाली कक्षा से अजीब सी आवाज़ें सुनीं। इस कक्षा को "कक्षा नंबर 13" के नाम से जाना जाता था, और कहा जाता था कि सालों पहले वहां एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। शुरुआत में छात्रों ने इसे नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन जब आवाज़ें बढ़ने लगीं, तो उनका डर बढ़ता गया। एक दिन, चार साहसी दोस्तों - अर्जुन, रोहित, रिया, और नेहा ने फैसला किया कि वे इस रहस्य को सुलझाएंगे। रात के समय, वे चारों कक्षा नंबर 13 में गए, जो अब इस्तेमाल में नहीं थी। जैसे ही वे अंदर पहुंचे, अचानक दरवाजा जोर से बंद हो गया और कमरा कड़ाके की ठंड से भर गया। दीवारों पर पुराने समय के छात्रों की तस्वीरें थीं, और उनमें से एक तस्वीर की आंखें चमकने लगीं। फिर, एक लड़की की धीमी और दर्दभरी आवाज़ सुनाई दी, "मुझे यहाँ से बाहर निकालो…" डर के मारे चारों दोस्त वहीं जड़ हो गए। लेकिन रिया ने हिम्मत दिखाई और पूछा, "तुम कौन हो?" आवाज ने जवाब दिया, "मैं अनु हूँ। इस कक्षा में मुझे सालों पहले बंद कर दिया गया था। मैंने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि मुझे मार दिया गया था। और तब से मेरी आत्मा यहां कैद है।" अनु की आत्मा ने बताया कि कैसे उसे कुछ छात्रों ने साजिश के तहत फंसाया और उसकी हत्या कर दी। वे चाहते थे कि अनु की आत्मा को शांति मिले, इसलिए चारों दोस्तों ने उसकी आखिरी इच्छा पूरी करने का वादा किया। उन्होंने स्कूल के पुराने दस्तावेज़ों और इतिहास की किताबों में छानबीन की और सच को उजागर किया। इस तरह, अनु की आत्मा को मुक्ति मिली और कक्षा नंबर 13 फिर कभी भूतिया नहीं दिखी। लेकिन आज भी, जब रात के समय कोई गलती से उस कक्षा के पास जाता है, तो उन्हें अनु की शांतिपूर्ण मुस्कान की एक झलक जरूर दिखाई देती है, मानो वह उन चार दोस्तों को धन्यवाद कह रही हो
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**कहानी का शीर्षक: "भूतिया कक्षा"**
**कहानी:**
नैनीताल के एक छोटे से पहाड़ी शहर में
,
सेंट पीटर्स अकादमी नाम का एक पुराना और प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल था। यह स्कूल सौ साल से भी ज्यादा पुराना था और अपनी सख्त अनुशासन और उच्च शैक्षणिक मानकों के लिए जाना जाता था। लेकिन इस स्कूल में एक काला राज भी छिपा था
,
जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे।
यह कहानी शुरू होती है एक ठंडी सर्दियों की रात से
,
जब दसवीं कक्षा के कुछ छात्र देर रात पढ़ाई कर रहे थे। अचानक
,
उन्होंने स्कूल की सबसे पुरानी और खंडहर जैसी दिखने वाली कक्षा से अजीब सी आवाज़ें सुनीं। इस कक्षा को "कक्षा नंबर 13" के नाम से जाना जाता था
,
और कहा जाता था कि सालों पहले वहां एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी।
शुरुआत में छात्रों ने इसे नजरअंदाज करने की कोशिश की
,
लेकिन जब आवाज़ें बढ़ने लगीं
,
तो उनका डर बढ़ता गया। एक दिन
,
चार साहसी दोस्तों - अर्जुन
,
रोहित
,
रिया
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और नेहा ने फैसला किया कि वे इस रहस्य को सुलझाएंगे। रात के समय
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वे चारों कक्षा नंबर 13 में गए
,
जो अब इस्तेमाल में नहीं थी।
जैसे ही वे अंदर पहुंचे
,
अचानक दरवाजा जोर से बंद हो गया और कमरा कड़ाके की ठंड से भर गया। दीवारों पर पुराने समय के छात्रों की तस्वीरें थीं
,
और उनमें से एक तस्वीर की आंखें चमकने लगीं। फिर
,
एक लड़की की धीमी और दर्दभरी आवाज़ सुनाई दी
,
"मुझे यहाँ से बाहर निकालो…"
डर के मारे चारों दोस्त वहीं जड़ हो गए। लेकिन रिया ने हिम्मत दिखाई और पूछा
,
"तुम कौन हो
?
"
आवाज ने जवाब दिया
,
"मैं अनु हूँ। इस कक्षा में मुझे सालों पहले बंद कर दिया गया था। मैंने आत्महत्या नहीं की थी
,
बल्कि मुझे मार दिया गया था। और तब से मेरी आत्मा यहां कैद है।"
अनु की आत्मा ने बताया कि कैसे उसे कुछ छात्रों ने साजिश के तहत फंसाया और उसकी हत्या कर दी। वे चाहते थे कि अनु की आत्मा को शांति मिले
,
इसलिए चारों दोस्तों ने उसकी आखिरी इच्छा पूरी करने का वादा किया। उन्होंने स्कूल के पुराने दस्तावेज़ों और इतिहास की किताबों में छानबीन की और सच को उजागर किया। इस तरह
,
अनु की आत्मा को मुक्ति मिली और कक्षा नंबर 13 फिर कभी भूतिया नहीं दिखी।
लेकिन आज भी
,
जब रात के समय कोई गलती से उस कक्षा के पास जाता है
,
तो उन्हें अनु की शांतिपूर्ण मुस्कान की एक झलक जरूर दिखाई देती है
,
मानो वह उन चार दोस्तों को धन्यवाद कह रही हो
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