एक गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामू था। रामू रोज़ जंगल में जाकर

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एक गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामू था। रामू रोज़ जंगल में जाकर लकड़ियां काटता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। उसके पास न तो कोई जमीन थी, न ही कोई अतिरिक्त साधन। बस उसकी कुल्हाड़ी और मेहनत ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी थी। एक दिन रामू ने जंगल में एक बहुत बड़ा और घना पेड़ देखा। उसने सोचा कि अगर वह इस पेड़ को काटकर बाजार में बेचेगा, तो उसे अच्छे पैसे मिल सकते हैं। वह तुरंत पेड़ को काटने में लग गया। जब उसने पेड़ पर पहली कुल्हाड़ी मारी, तो उसे एक आवाज सुनाई दी। उसने ध्यान दिया कि यह आवाज पेड़ के अंदर से आ रही थी। उसने दूसरी कुल्हाड़ी मारी तो आवाज और तेज हो गई। रामू ने डरते हुए कुल्हाड़ी रोक दी और आवाज का कारण जानने की कोशिश की। तभी पेड़ से एक परी प्रकट हुई। परी ने रामू से कहा, "मैं इस पेड़ में वास करती हूँ। तुमने मुझे जगा दिया है। लेकिन मैं तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से प्रभावित हूँ। इसलिए, मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहती हूँ।" रामू ने विनम्रता से कहा, "मुझे किसी वरदान की आवश्यकता नहीं है, माँ। मैं बस अपनी मेहनत से अपने परिवार का पेट पालना चाहता हूँ।" परी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी ईमानदारी और मेहनत को देखते हुए मैं तुम्हें यह वरदान देती हूँ कि जब भी तुम्हें जरूरत हो, तुम इस पेड़ के पास आकर मुझे पुकारना, मैं तुम्हारी सहायता करूंगी।" रामू ने परी का धन्यवाद किया और वापस अपने काम में लग गया। उसने पेड़ को नहीं काटा और दूसरे पेड़ों की लकड़ियां काटकर बाजार में बेच दीं। समय बीतता गया और रामू की मेहनत और ईमानदारी से उसका परिवार सुखी जीवन जीने लगा। जब भी उसे किसी समस्या का सामना करना पड़ता, वह उस पेड़ के पास जाकर परी को पुकारता और परी उसकी मदद करती। इस प्रकार रामू और उसका परिवार सुख-शांति से रहने लगा। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।
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एक गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। उसका नाम रामू था। रामू रोज़ जंगल में जाकर लकड़ियां काटता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। उसके पास न तो कोई जमीन थी, न ही कोई अतिरिक्त साधन। बस उसकी कुल्हाड़ी और मेहनत ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी थी।
एक दिन रामू ने जंगल में एक बहुत बड़ा और घना पेड़ देखा। उसने सोचा कि अगर वह इस पेड़ को काटकर बाजार में बेचेगा, तो उसे अच्छे पैसे मिल सकते हैं। वह तुरंत पेड़ को काटने में लग गया। जब उसने पेड़ पर पहली कुल्हाड़ी मारी, तो उसे एक आवाज सुनाई दी। उसने ध्यान दिया कि यह आवाज पेड़ के अंदर से आ रही थी। उसने दूसरी कुल्हाड़ी मारी तो आवाज और तेज हो गई। रामू ने डरते हुए कुल्हाड़ी रोक दी और आवाज का कारण जानने की कोशिश की।
तभी पेड़ से एक परी प्रकट हुई। परी ने रामू से कहा, "मैं इस पेड़ में वास करती हूँ। तुमने मुझे जगा दिया है। लेकिन मैं तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से प्रभावित हूँ। इसलिए, मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहती हूँ।"
रामू ने विनम्रता से कहा, "मुझे किसी वरदान की आवश्यकता नहीं है, माँ। मैं बस अपनी मेहनत से अपने परिवार का पेट पालना चाहता हूँ।"
परी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी ईमानदारी और मेहनत को देखते हुए मैं तुम्हें यह वरदान देती हूँ कि जब भी तुम्हें जरूरत हो, तुम इस पेड़ के पास आकर मुझे पुकारना, मैं तुम्हारी सहायता करूंगी।"
रामू ने परी का धन्यवाद किया और वापस अपने काम में लग गया। उसने पेड़ को नहीं काटा और दूसरे पेड़ों की लकड़ियां काटकर बाजार में बेच दीं।
समय बीतता गया और रामू की मेहनत और ईमानदारी से उसका परिवार सुखी जीवन जीने लगा। जब भी उसे किसी समस्या का सामना करना पड़ता, वह उस पेड़ के पास जाकर परी को पुकारता और परी उसकी मदद करती। इस प्रकार रामू और उसका परिवार सुख-शांति से रहने लगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।
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Animagine XL V3.1
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