बाजी राउत ओडिशा के धेंकानाल जिले के भुवन गाँव के एक प्रसिद्ध बालक थे

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बाजी राउत ओडिशा के धेंकानाल जिले के भुवन गाँव के एक प्रसिद्ध बालक थे
,
जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी वीरता के लिए जाने जाते हैं। 1926 में जन्मे बाजी राउत मात्र 12 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश पुलिस की क्रूरता का विरोध करने वाले सबसे युवा शहीद बने। 11 अक्टूबर 1938 को
,
जब ब्रिटिश पुलिस ने गाँव के लोगों पर हमला किया और नाव मांगी
,
बाजी राउत ने अपनी नाव देने से इनकार कर दिया। उन्होंने बहादुरी से ब्रिटिश सैनिकों का सामना किया और अपनी जान की बाजी लगाई। बाजी राउत की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई प्रेरणा जगाई। आज भी
,
वे ओडिशा और पूरे भारत में साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में सम्मानित किए जाते हैं
,
और उनकी कहानी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। ऐसे ही और वीडियो देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें
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