Tigers and sheep केले का छिलका कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फ


Tigers and sheep केले का छिलका कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था। कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था। वह जब भी केले खाता , छिलके सड़क पर ही फेंकता। मां के डांटने पर उसके मुंह से रटा रटाया वही वाक्य निकलता- "हां मां! अब की बार से छिलके कूड़ेदान में ही डाला करूंगा"। पर आदतन वह हमेशा छिलके सड़क पर ही फेंकता।केले खाकर अभी वह मुंह पोंछ भी नहीं पाया था कि बाहर 'हाय मरा!' की आवाज के साथ कोई गिरा। "अरे! यह तो... केले खाकर अभी वह मुंह पोंछ भी नहीं पाया था कि बाहर 'हाय मरा!' की आवाज के साथ कोई गिरा। "अरे! यह तो दादाजी की आवाज है" कहकर नीटू बाहर की ओर भागा। बाहर जाकर देखा तो दादाजी सड़क पर औंधे मुंह पड़े थे। उनकी छड़ी छिटक कर दूर जा गिरी थी। दादाजी दर्द से छटपटा रहे थे।नीटू ने छड़ी उठाकर दादाजी के हाथ में दी और सहारा देकर उन्हें उठाना चाहा। पर वह उन्हें उठा न सका। इसी समय पड़ोस वाले अंकल आ गये। उन्होंने दादाजी को सहारा देकर घर के अंदर पहुंचाया। मम्मी ने दादाजी को दूध में फिटकरी डाल कर दी, ताकि दर्द खिंच जाये। पर दर्द था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था।शाम को पिताजी दफ्तर से लौटे। दर्द कम होता न देख वह दादाजी को डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने दर्द वाले पैर का एक्सरे कर पापा को बताया कि पैर की हड्डी दूट गयी है। बुढ़ापे का यह शरीर ऊपर से यह कष्ट। दादाजी के पैर पर प्लास्टर चढ़ाया गया। पूरे महीने वह चारपाई से लगे रहे। नीटू ने इस दौरान उनका पूरा ख्याल रखा । वह उनके खाने-पीने और समय पर दवाई देने का ध्यान रखता। मम्मी उसे यह उलाहने देती कि दादाजी की यह हालत तुम्हारी शरारत के कारण ही हुई है। दादाजी के ख्याल के साथ उसमें सबसे बड़ा सुधार यह हुआ कि वह केले खाकर छिलके कूड़ेदान में ही डालता, ताकि दादाजी की तरह अन्य किसी को यह कष्ट न उठाना पड़े।
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Tigers and sheep
केले का छिलका
कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके
सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान
से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी।
मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल
दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके
खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था।
कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके
सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान
से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने
नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का
शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से
सड़क पर फेंक रहा था। वह जब भी केले खाता
,
छिलके सड़क पर ही फेंकता। मां के डांटने पर
उसके मुंह से रटा रटाया वही वाक्य निकलता-
"हां मां
!
अब की बार से छिलके कूड़ेदान में ही
डाला करूंगा"। पर आदतन वह हमेशा छिलके
सड़क पर ही फेंकता।केले खाकर अभी वह मुंह
पोंछ भी नहीं पाया था कि बाहर 'हाय मरा
!
' की
आवाज के साथ कोई गिरा। "अरे
!
यह तो
...
केले खाकर अभी वह मुंह पोंछ भी नहीं पाया था
कि बाहर 'हाय मरा
!
' की आवाज के साथ कोई
गिरा। "अरे
!
यह तो दादाजी की आवाज है"
कहकर नीटू बाहर की ओर भागा। बाहर जाकर
देखा तो दादाजी सड़क पर औंधे मुंह पड़े थे।
उनकी छड़ी छिटक कर दूर जा गिरी थी। दादाजी
दर्द से छटपटा रहे थे।नीटू ने छड़ी उठाकर दादाजी
के हाथ में दी और सहारा देकर उन्हें उठाना चाहा।
पर वह उन्हें उठा न सका। इसी समय पड़ोस
वाले अंकल आ गये। उन्होंने दादाजी को सहारा
देकर घर के अंदर पहुंचाया। मम्मी ने दादाजी
को दूध में फिटकरी डाल कर दी
,
ताकि दर्द खिंच
जाये। पर दर्द था कि कम होने का नाम ही नहीं ले
रहा था।शाम को पिताजी दफ्तर से लौटे। दर्द कम
होता न देख वह दादाजी को डॉक्टर के पास ले
गये। डॉक्टर ने दर्द वाले पैर का एक्सरे कर पापा
को बताया कि पैर की हड्डी दूट गयी है। बुढ़ापे का
यह शरीर ऊपर से यह कष्ट। दादाजी के पैर पर
प्लास्टर चढ़ाया गया। पूरे महीने वह चारपाई से
लगे रहे। नीटू ने इस दौरान उनका पूरा ख्याल रखा
। वह उनके खाने-पीने और समय पर दवाई देने
का ध्यान रखता। मम्मी उसे यह उलाहने देती
कि दादाजी की यह हालत तुम्हारी शरारत के
कारण ही हुई है। दादाजी के ख्याल के साथ
उसमें सबसे बड़ा सुधार यह हुआ कि वह केले
खाकर छिलके कूड़ेदान में ही डालता
,
ताकि
दादाजी की तरह अन्य किसी को यह कष्ट न
उठाना पड़े।
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