Arafed woman sitting in a doorway of a mud hut with a sign on the wall


Title: सहायक की महत्वपूर्ण भूमिका (The Importance of Being Helpful) किसी गाँव में एक नादान और आत्ममंद लड़का नामकरण रहता था। वह अकेला रहता और अकेला ही काम करता था। उसे किसी की मदद करने की जरुरत का एहसास नहीं था। वह हमेशा अपने आप पर गर्व करता और दूसरों को नीचा देखता था। एक दिन, गाँव में बड़ा हादसा हो गया। एक बड़ी आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई और लोगों को मदद की जरुरत थी। लेकिन नादान नामकरण ने इसे अपने सामने उत्पन्न हुए समस्याओं को देखकर भी ध्यान नहीं दिया। वह सोचता था कि ये सब काम दूसरों के लिए हैं, मैं तो खुद अपने लिए ही काम करता हूँ। कुछ लोग आखिरकार नामकरण के पास आये और उससे मदद करने की गुहार लगाई। परंतु वह अपने आप में इतना डूबा हुआ था कि उसने उन्हें भी ध्यान नहीं दिया। फिर एक बूढ़ा आदमी आया और नामकरण के पास रुक गया। बूढ़ा आदमी ने कहा, "बेटा, दुनिया में अच्छाई की जगह बनाने का एक तरीका है किसी की मदद करना। अगर तुम मदद करोगे, तो तुम्हें खुद भी खुशी मिलेगी।" नामकरण ने उसकी बात सुनी और उसे अपने अकेलेपन की गली से बाहर निकलकर लोगों की मदद करने लगा। उसने लोगों के लिए जल और खाने की व्यवस्था की, और उन्हें सहायता में बढ़वाने के लिए अपना सबसे अच्छा प्रयास किया। धीरे-धीरे, लोगों के बीच नामकरण की मान्यता बढ़ने लगी। वह अब अपने गाँव का गर्व था, क्योंकि वह देश की सेवा में अपना योगदान दे रहा था। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। हमें समाज में उपयोगी होने का परिचय होना चाहिए और दूसरों की मदद करने का एहसास होना चाहिए। इससे हमारा समाज एक मजबूत और एकत्रित बनेगा
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Title: सहायक की महत्वपूर्ण भूमिका (The Importance of Being Helpful)
किसी गाँव में एक नादान और आत्ममंद लड़का नामकरण रहता था। वह अकेला रहता और अकेला ही काम करता था। उसे किसी की मदद करने की जरुरत का एहसास नहीं था। वह हमेशा अपने आप पर गर्व करता और दूसरों को नीचा देखता था।
एक दिन
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गाँव में बड़ा हादसा हो गया। एक बड़ी आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई और लोगों को मदद की जरुरत थी। लेकिन नादान नामकरण ने इसे अपने सामने उत्पन्न हुए समस्याओं को देखकर भी ध्यान नहीं दिया। वह सोचता था कि ये सब काम दूसरों के लिए हैं
,
मैं तो खुद अपने लिए ही काम करता हूँ।
कुछ लोग आखिरकार नामकरण के पास आये और उससे मदद करने की गुहार लगाई। परंतु वह अपने आप में इतना डूबा हुआ था कि उसने उन्हें भी ध्यान नहीं दिया।
फिर एक बूढ़ा आदमी आया और नामकरण के पास रुक गया। बूढ़ा आदमी ने कहा
,
"बेटा
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दुनिया में अच्छाई की जगह बनाने का एक तरीका है किसी की मदद करना। अगर तुम मदद करोगे
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तो तुम्हें खुद भी खुशी मिलेगी।"
नामकरण ने उसकी बात सुनी और उसे अपने अकेलेपन की गली से बाहर निकलकर लोगों की मदद करने लगा। उसने लोगों के लिए जल और खाने की व्यवस्था की
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और उन्हें सहायता में बढ़वाने के लिए अपना सबसे अच्छा प्रयास किया।
धीरे-धीरे
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लोगों के बीच नामकरण की मान्यता बढ़ने लगी। वह अब अपने गाँव का गर्व था
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क्योंकि वह देश की सेवा में अपना योगदान दे रहा था।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। हमें समाज में उपयोगी होने का परिचय होना चाहिए और दूसरों की मदद करने का एहसास होना चाहिए। इससे हमारा समाज एक मजबूत और एकत्रित बनेगा
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