बिलकुल! यहाँ एक छोटी सी हास्य कहानी है: --- **रात का राक्षस


बिलकुल! यहाँ एक छोटी सी हास्य कहानी है: --- **रात का राक्षस** एक छोटे से गाँव में लोग हमेशा रात के समय अजीब-अजीब आवाज़ें सुनते थे। कहा जाता था कि गाँव में एक भूत-प्रेत रहता है। एक दिन गाँव का सबसे निडर व्यक्ति, रमेश, ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा। रात होते ही, रमेश ने अपनी पूरी तैयारी की - एक बड़ा टॉर्च, एक चमकदार कपड़ा, और एक थाली में कुछ स्नैक्स। वह जंगल में गया, जहाँ से सबसे ज़्यादा अजीब आवाजें आती थीं। जंगल के बीचों-बीच पहुँचते ही, उसने देखा कि एक अजीब सा आकृति चुपचाप एक पेड़ के नीचे बैठी थी। रमेश ने डरते-डरते टॉर्च जलाया और देखा कि वह कोई भूत नहीं, बल्कि गाँव का ही बूढ़ा रामू था, जो एक पुराने गद्दे में लिपटा हुआ था। "रामू चाचा! आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" रमेश ने पूछा। रामू ने झिझकते हुए कहा, "अरे बेटा, ये गद्दा बहुत पुराना है और रात के समय सर्दी बहुत लगती है। मैंने सोचा, जंगल में गर्मी अच्छी होगी, और यहाँ का खाना भी अच्छा है।" रमेश हँसी से लोटपोट हो गया। "तो ये सारी आवाजें रामू चाचा की थीं!" उस रात रमेश और रामू चाचा ने जंगल में पिकनिक मनाई और बाकी गाँववालों को बताया कि रात का राक्षस दरअसल उनकी ही गलती थी। अब हर कोई हंसते हुए उस घटना को याद करता है और रामू चाचा की गद्दा-कहानी गाँव की हंसी-ठिठोली का हिस्सा बन गई है। --- आशा है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी!
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यहाँ एक छोटी सी हास्य कहानी है:
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**रात का राक्षस**
एक छोटे से गाँव में लोग हमेशा रात के समय अजीब-अजीब आवाज़ें सुनते थे। कहा जाता था कि गाँव में एक भूत-प्रेत रहता है। एक दिन गाँव का सबसे निडर व्यक्ति
,
रमेश
,
ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा।
रात होते ही
,
रमेश ने अपनी पूरी तैयारी की - एक बड़ा टॉर्च
,
एक चमकदार कपड़ा
,
और एक थाली में कुछ स्नैक्स। वह जंगल में गया
,
जहाँ से सबसे ज़्यादा अजीब आवाजें आती थीं।
जंगल के बीचों-बीच पहुँचते ही
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उसने देखा कि एक अजीब सा आकृति चुपचाप एक पेड़ के नीचे बैठी थी। रमेश ने डरते-डरते टॉर्च जलाया और देखा कि वह कोई भूत नहीं
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बल्कि गाँव का ही बूढ़ा रामू था
,
जो एक पुराने गद्दे में लिपटा हुआ था।
"रामू चाचा
!
आप यहाँ क्या कर रहे हैं
?
" रमेश ने पूछा।
रामू ने झिझकते हुए कहा
,
"अरे बेटा
,
ये गद्दा बहुत पुराना है और रात के समय सर्दी बहुत लगती है। मैंने सोचा
,
जंगल में गर्मी अच्छी होगी
,
और यहाँ का खाना भी अच्छा है।"
रमेश हँसी से लोटपोट हो गया। "तो ये सारी आवाजें रामू चाचा की थीं
!
"
उस रात रमेश और रामू चाचा ने जंगल में पिकनिक मनाई और बाकी गाँववालों को बताया कि रात का राक्षस दरअसल उनकी ही गलती थी। अब हर कोई हंसते हुए उस घटना को याद करता है और रामू चाचा की गद्दा-कहानी गाँव की हंसी-ठिठोली का हिस्सा बन गई है।
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